देवेंद्र शर्मा
रांची/नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने आज तीन साल पहले जारी किए गए अपने आदेश को वापस ले लिया है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से कहा है कि वह इस समिति में शामिल होने के लिए जैन समुदाय से दो सदस्यों और स्थानीय जनजातीय समूह से एक सदस्य को स्थायी सदस्य के रूप में आमंत्रित करे। केंद्र सरकार के इस फैसले से देशभर में जैन समुदाय समेत सभी लोगो में हर्ष व्याप्त है ।लोग सडको पर निकल कर खुशी का ईज़ाद कर रहे है।
परझारखंड के पारसनाथ में स्थित जैन समुदाय का पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर पर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। केंद्र के मुताबिक, यह अब पर्यटन क्षेत्र नहीं होगा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में सभी पर्यटन और इको टूरिज्म गतिविधि पर पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्विटर के जरिए इसकी जानकारी दी है।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को तीन साल पहले जारी किए गए अपने आदेश को वापस ले लिया है।
भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से आज पांच जनवरी को जारी दो पेज की चिट्ठी के दूसरे पेज पर लिखा गया है, ”इको सेंसेटिव जोन अधिसूचना के खंड-3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।”केंद्र सरकार ने निगरानी समिति बनाई। राज्य सरकार से कहा गया है कि वह इस समिति में शामिल होने के लिए जैन समुदाय से दो सदस्यों और स्थानीय जनजातीय समूह से एक सदस्य को स्थायी सदस्य के रूप में आमंत्रित करे।
फैसले के खिलाफ आंदोलन कर रहा था जैन समुदाय
सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र घोषित किए जाने के खिलाफ पिछले कुछ दिनों से जैन समुदाय आंदोलन कर रहा है। इसके खिलाफ कई जैन मुनियों ने आमरण अनशन भी शुरू कर दिया था। दुखद घटना तब हो हो गया जब इसमें जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने मंगलवार को प्राण भी त्याग दिया था।
जैनियों का पवित्र तीर्थ है सम्मेद शिखरजी
सम्मेद शिखरजी जैनियों का पवित्र तीर्थ है। जैन समुदाय से जुड़े लोग सम्मेद शिखरजी के कण-कण को पवित्र मानते हैं। झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित श्री सम्मेद शिखरजी को पार्श्वनाथ पर्वत भी कहा जाता है। ये जगह लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है। बड़ी संख्या में हिंदू भी इसे आस्था का बड़ा केंद्र मानते हैं। जैन समुदाय के लोग सम्मेद शिखरजी के दर्शन करते हैं और 27 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले मंदिरों में पूजा करते हैं। यहां पहुंचने वाले लोग पूजा-पाठ के बाद ही कुछ खाते-पीते हैं।
रांची में केंद्र सरकार के इस आशय की खबर लोगो को लगी वो झुककर सड़क पर आकर अपनी खुशी का ईज़ाद करना शुरू कर दिया।सडको पर होली का सा वातावरण नजर आ रहा था।रांची में भी हजारो लोगो ने राज भवन के आगे विरोध प्रदर्शन किया था और राजपाल को ज्ञापन सौंपा था।
पारसनाथ की पवित्रता के लिए केंद्र और राज्य सरकार को धन्यवाद : बसंत कुमार मित्तल
झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष बसंत कुमार मित्तल ने पारसनाथ मामले में पहल के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार के प्रति आभार प्रकट किया है। श्री मित्तल ने जैन समाज सहित समस्त देशवासियों को इस सफलता की बधाई दी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र एवं राज्य सरकार की इस पहल से पारसनाथ श्री सम्मेद शिखर की पवित्रता कायम रखने का रास्ता खुलेगा।उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने आज झारखंड सरकार को पत्र भेजकर पारसनाथ की पवित्रता कायम रखने संबंधी विभिन्न कदम उठाने का निर्देश दिया है। केंद्र सरकार ने पारसनाथ को इको सेंसेटिव क्षेत्र घोषित करने संबंधी विभिन्न प्रावधानों को भी शिथिल करने की घोषणा बात कही है।केंद्र सरकार ने पारसनाथ को इको सेंसेटिव क्षेत्र घोषित करने संबंधी विभिन्न प्रावधानों को भी शिथिल करने की घोषणा बात कही है।
मुख्यमंत्री ने लिखा था पत्र
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को ही श्री सम्मेद शिखरजी को लेकर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री श्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा था। उसपर मंत्रालय ने त्वरित संज्ञान लेते हुए इको सेंसेटिव जोन अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगा दी है। जिसमें पर्यटन और इको टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं। बता दें कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने पत्र लिख जैन अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने का आग्रह किया था।