रांची। झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन ने मधुबन स्थित श्री सम्मेद शिखरजी की धार्मिक गरिमा कायम रखने की मांग किया है। प्रांतीय अध्यक्ष बसंत मित्तल ने कहा कि राज्य सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। जैन धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखरजी मधुबन को पर्यटन स्थल घोषित करने से दुनिया भर में स्थित जैन समाज आहत है।
मित्तल ने कहा कि जैन समाज भी अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन का अभिन्न हिस्सा है। जैन समाज के बंधुओं से जानकारी मिली है कि राज्य सरकार के निर्णय से उन्हें काफी पीड़ा हुई है। विश्व प्रसिद्ध श्री सम्मेद शिखर जी जैन धर्मावलंबियों का सबसे बड़ा पवित्र तीर्थस्थल है। इसे पर्यटन स्थल बनाने से पवित्रता भंग होगी। उस क्षेत्र में मांसाहार और शराब सेवन जैसी अनैतिक गतिविधियां प्रारंभ होने की संभावना होगी। इससे अहिंसक जैन समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।
मित्तल ने कहा कि गिरिडीह पारसनाथ पहाड़ी क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित करने से जैन समाज में निराशा का माहौल है। इसलिए जैन धर्मावलंबियों की वास्तविक मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने पर रोक लगे। इस पवित्र तीर्थ स्थल को धार्मिक तीर्थस्थल घोषित करने किया जाए। इससे दुनिया भर के जैन समाज के लोगों में सकारात्मक संदेश जायेगा।
मित्तल ने कहा कि अगर राज्य सरकार अपने निर्णय को वापस नहीं लेगी तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा। ऐसे में जैन समाज के आंदोलन में झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा हर कदम पर भागीदारी निभाई जाएगी। मित्तल ने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार इस पर हठधर्मी रवैया नहीं अपनाएगी बल्कि अल्पसंख्यक जैन समुदाय की भावनाओं का सम्मान करेगी।