रांची से देवेंद्र शर्मा की रिर्पोट।
रांची। झारखंड सरकार के तीन वर्ष पुरे हो गये । तीन वर्ष हेमन्त सरकार को संघर्ष के कठिनाई में ही गुजारना पड़ा। दो साल तो कोरोना संक्रमण से झारखंड की जनता को बचाने में झोंक दिया और एक साल से सरकार के मुखिया हेमन्त सोरेन , कैबिनेट के सदस्य समेत प्रमुख ब्यूरो क्रेट ईडी मुख्यालय का चक्कर लगा रहे है । इस बीच सरकार ने जो भी निर्णय लिए थे उसे एक एक कर उच्च न्यायालय या तो खारिज करता जा रहा है या वह खुद कानून के घेरे में आता जा रहा।
सरकार की तब और भद्द पीट गई जब सरकार के मास्टर कार्ड 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति को न्यायालय में झटका लगा ।सरकार के आरक्षण पर दिये गये नियमन को भी झंझावात में उलझाये जा रहा है। सरकार ने अपनी चुनाव घोषणा में कहा था की हर वर्ष पांच लाख बेरोजगार को नियुक्ती दी जायेगी परन्तु यह घोषणा सफेद हाथी ही साबित हुआ। हलांकि सरकार ने दावा कर रही है की नियुक्ती की प्रक्रिया जारी है जो राज्य के बेरोजगार की नजर से ओझल है। राज्य में अपराध और अपराधियों की बाढ आ गई है। भ्रष्टाचार का आलम है की सरकार के मुखिया समेत कई मन्त्री और ब्यूरो क्रेट कानून के शिकंजे में जकड़े हुए है । राज्य के कई आईएएस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे है। एक तो अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप में महिनों से जेल में बेल की आश लगाये बैठी है।
राज्य में अवैध माइनिंग चरम पर चल रहा । ईडी एक हजार करोड़ की अवैध उत्खनन को लेकर जांच चला रही है जिसका अन्त ही नही हो रहा । एक के बाद एक इसमें फंसते जा रहे है। सीएम हेमन्त सोरेन पर भी पद पर रहते हुए लाभ अर्जित करने का मामला चल रहा है। राज्य में भय ,भुख और भ्रष्टाचार चरम पर छा गया है। सरकार केन्द्र पर एक साजिश के तहत झारखंड सरकार को परेशान करने के लिए और सरकार को गिराने का गंभीर आरोप लगाया है।
सरकार कुछ काम अवश्य अच्छा की है जैसे पारा शिक्षक की समस्या को हल किया ,सेविका सहयाओं की वेतन वृद्धि की।सरकार ने जहां एक ओर जे पी एस सी के समय पर परीक्षा का आयोजन हुआ वहीं दूसरी ओर जेएसएस सी में नियुक्ति प्रक्रिया लटक गई। सरकार ने सभी विभाग में रिक्त पदों पर तत्काल नियुक्ति का आदेश दिया था वह भी बेरोजगार के लिए मृगतृष्णा ही साबित हुआ।सरकार की हालत यह है की सरकार एक पग चलने की घोषणा करती है परन्तु दूसरे ही दिन दो पग लौट जाती है।