रांची। झारखंड में चल रहे ग्रामीण कार्य विभाग के अन्तर्गत प्रधान मन्त्री ग्राम सड़क योजना (पी एम जीएस वाई)में व्यापक अनियमितता बरती जा रही है। विभाग के एक खास सूत्र ने बताया है की पिछले तीन बर्ष में लगभग दस हजार करोड़ से अधिक की राशि का बन्दर बांट किया गया है। अधिक अनियमितता योजना के टेंडर निबटारा के माध्यम से की गई है। राज्य मे यह योजना सभी 24 जिले में चल रही है ।
जांच के आदेश रद्दी की टोकरी में चली गई
सूत्र का कहना है की योजना में टेंडर घोटाला जमकर किया जाता है। जहां न्युनतम रेट वाले को दर किनार कर ऊंचे रेट भरने बाले पैरवी पहुंच और कमीशन के बल पर काम ले रहे है। विभाग गुणवत्ता से अधिक कमीशन पर ध्यान दे रही है। विभाग के मन्त्री आलमगीर आलम है। संथाल, पलामू, कोल्हान समेत दक्षिण और उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल से सैकड़ो की संख्या में लोगो ने विभाग के प्रभारी मन्त्री समेत सरकार के पास शिकायत पत्र लिखे पर कार्रवाई नही हो पाया है। सूत्र का कहना है की विभाग में मनचाहे तरीके से ठेकेदारों को काम दिया जाता है। कार्यादेश देने में न तो प्रावधान देखे जाते है और न पेपर। पचास प्रतिशत मामले इन्ही से जुड़े हैं।कुछ माह पहले इन्ही को लेकर जांच के आदेश दिया गया था जो कुछ दिनों में रद्दी की टोकरी में चली गई।
टेंडर मे दो की स्वीकृति इस लिए ताकी टेंडर कैंसिल न हो
भारत सरकार ने इस योजना में बिशेष रूची दिखाते हुए स्वीकृति प्रदान की थी। लगभग 350 से अधिक योजनाओं का टेंडर जारी किया गया था। यह योजना 200 करोड़ की राशि की थी। टेंडर निपटारे में खुलकर भ्रष्टाचार किये गये। इस योजना के लिए ठेकेदारों ने जो टेंडर भरा था। सबको डिसकवालिफाई कर दिया गया और केवल दो को ही क्वालिफाई किया गया ।इनमें भी एक को काम दिया गया जो अधिकारी के चहेते माने जाते थे।सूत्र का कहना है की इस टेंडर मे दो की स्वीकृति इस लिए ताकी टेंडर कैंसिल न हो।चर्चा है की जिन ठेकेदारों को डिसकवालिफाई किया गया था उन्हे दूसरी योजना में क्वालिफाई कर काम दी गयी । यह विभाग में चर्चा का बिषय बन गया।
विभाग के सूत्र का कहना है की अधिकांश काम में गुणवत्ता नही होती है ।पचास प्रतिशत सड़क त साल छह माह ही चल पाते है।धरातल पर इनकी जांच होती ही नही। योजना राशि की बन्दर बांट पेपर पर जमकर की जाती है। दुमका,जामताड़ा, पाकुड़, धनबाद, हजारीबाग, रामगढ़, लोहरदगा,गुमला ,सिमडेगा इत्यादी में घटिया गुणवत्ता वाले सड़क निर्माण की अनेकों शिकायत प्राप्त हुई है।विभाग को काजल की कोठरी की संज्ञा दी जाती है। विभाग में तैनाती से लेकर योजना प्राप्ति के लिए कमीशन पर काम होने की सुचना है।विधान सभा में यह योजना चर्चा का बिषय रहा है।