रांची । झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के मंत्री आलमगीर आलम पर गंभीर टिप्पणी की है। बड़हरवा टोल प्लाजा से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आलमगीर आलम ने प्रार्थी को टेंडर नहीं भरने के लिए धमकी दी है। पूरे मामले को देखकर ऐसा लगता है कि इस केस से जुड़े आरोपी आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा को बचाने के लिए उनके खिलाफ चार्जशीट नहीं दाखिल की गई। जबकि इसी केस में 8 अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है।
पुलिस ने गंभीर आरोप होने के बावजूद आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा को हडबडी मे क्लीनचिट दे दी ।यह चिंता का विषय है। वहीं अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि ऐसा लगता है कि जिस टोल प्लाजा के टेंडर को लेकर विवाद हुआ है, वह काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह टोल प्लाजा झारखंड, बिहार और बंगाल के बॉर्डर पर है।
यह बातें झारखंड हाईकोर्ट ने शंभु नंदन कुमार की क्रिमिनल रिट पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कही हैं। दरअसल, वर्ष 2019 में साहेबगंज के शंभु भगत ने टोल नाके के निविदा मामले को लेकर मंत्री आलमगीर आलम एवं मुख्य मन्त्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा पर मारपीट और धमकी देने का आरोप लगाया था । जिसके बाद उन्होंने करीब 10 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करवाई थी।इस मामले की जांच में पुलिस ने दो आरोपियों को क्लीन चिट दे दी है। जिसके खिलाफ शंभु नंदन ने झारखंड हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है।
मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने इस मामले की सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान उन्होंने बड़हरवा थाने में दर्ज कांड संख्या 85/2020 के ट्रायल पर रोक लगा दी है। साहेबगंज कोर्ट ने जुडिशियल मजिस्ट्रेट-1 की कोर्ट में इस कांड का ट्रायल चल रहा है। आज झारखंड हाईकोर्ट के टिप्पणी पर पंकज मिश्रा, आलमगीर आलम और साहेबगंज पुलिस की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है ।इधर ई डी का शिकंजा भी कसता जा रहा है।