रांची। झारखंड के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री जगरनाथ महतो द्वारा पारा शिक्षकों (सहायक अध्यापकों) को वेतनमान नहीं दिए जाने की बात कहे जाने के बाद राज्य के 65 हजार पारा शिक्षको ने एक बार फिर आंदोलन की चेतावनी देते हुए उनके बयान पर नाराजगी व्यक्त की है।
पारा शिक्षकों के एक धड़े ने सफल सहायक अध्यापक संघ के आह्वान पर टेट उत्तीर्ण पारा शिक्षक आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं। संघ ने वेतनमान सहित अन्य मांगों को लेकर 18 अक्टूबर से मुख्यमंत्री आवास के समक्ष पांच दिवसीय धरना सह अनशन करने का निर्णय लिया गया है।
पारा शिक्षक भी शिक्षा मंत्री के उस बयान से आहत हैं जिसमें शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा था कि पारा शिक्षकों को वेतनमान नहीं दिया जा सकता। क्योंकि, उनकी नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का अनुपालन नहीं हुआ। टेट उत्तीर्ण पारा शिक्षकों कहा है कि एनसीटीई और एनईपी के तमाम मानकों को पूरा करते हुए सरकारी शिक्षक बनने की अर्हता रखते हैं।
मंत्री ने कहा था कि अष्टमंंगल कमेटी के साथ हुई बैठक के आलाोक में नियमावली बनाई गई जिसमें पारा शिक्षकों के मानदेय में 40 से 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई। उसी समय तय हो गया था कि उन्हें वेतनमान नहीं दिया जा सकता है। ऐसे में उनके द्वारा फिर से वेतनमान की मांग करना गलत है।
उन्होंने कहा कि पारा शिक्षक बिहार की तर्ज पर वेतनमान देने की मांग कर रहे हैं, जबकि बिहार में हुई नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का पालन किया गया है। मंत्री ने कहा कि पारा शिक्षकों के मानदेय में चार प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि देने का निर्णय लिया गया जबकि सरकारी शिक्षकों के वेतन में तीन प्रतिशत की ही वृद्धि होती है। इधर, मंत्री के इस बयान पर पारा शिक्षकों में रोष है। कई पारा शिक्षकों ने कहा है कि महाधिवक्ता ने टेट उत्तीर्ण पारा शिक्षकों को वेतनमान देने की अनुशंसा की थी।