पटना। बिहार के पूर्व विधि मंत्री कार्तिकेय सिंह की जमानत याचिका को दानापुर कोर्ट ने खारिज कर दिया है। दानापुर कोर्ट ने अपहरण के मामले की सुनवाई करते हुए फैसले को सुरक्षित रखा था।कार्तिकेय कुमार के वकील जनार्दन राय ने अपनी बात रखने का समय मांगा था। इस पर जज ने उन्हें शाम तक का समय दिया था। शाम 4:30 बजे कोर्ट ने फैसला सुनाया। दरअसल, पूर्व मंत्री कार्तिकेय कुमार की आज दानापुर कोर्ट में पेशी थी लेकिन वे पेश नहीं हुए। कार्तिकेय कुमार के वकील कोर्ट में बात रखी। लोक अभियोजक मोहम्मद कलाम अंसारी ने बताया कि कई बिंदुओं पर बहस के बाद कोर्ट ने कार्तिकेय कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी।
उल्लेखनीय है कि 2014 में राजीव रंजन को अगवा कर लिया गया था। इसमें अनंत सिंह और कार्तिकेय आरोपित हैं। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए कार्तिकेय सिंह के खिलाफ कोर्ट ने वारंट जारी किया है। इस बीच कार्तिक कुमार उर्फ कार्तिकेय सिंह नीतीश कैबिनेट में राजद कोटे से कानून मंत्री बनाए गए। उन्होंने जिस दिन शपथ ली उसी दिन उन्हें कोर्ट में सरेंडर करना था।
इसे भाजपा ने मुद्दा बनाया और सरकार को घेरने का काम किया। सरकार पर बन रहे दबाव के बाद कानून मंत्री से हटाकर कार्तिक कुमार गन्ना उद्योग मंत्री का पद की जिम्मेदारी दी गयी। मुख्यमंत्री ने उनका विभाग ही बदल दिया। इसके कुछ घंटे बाद ही कार्तिक कुमार ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। कार्तिक के इस्तीफे के बाद राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता को गन्ना उद्योग विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पूर्व मंत्री कार्तिकेय कुमार सिंह ने गुरूवार काे मीडिया के समक्ष भाजपा पर जमकर बरसे। मीडिया से बात करते उन्होंने इस्तीफे का कारण बताते हुए कहा कि भूमिहार होने के कारण भाजपा उन्हें निशाना बना रही है। भाजपा को ये बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि राजद कोटे से भूमिहार समाज से किसी को मंत्री बनाया गया है। उन्होंने कहा कि बार बार मेरी छवि धूमिल करने के लिए बेबुनियाद आरोप को भाजपा नेता बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहे थे। इससे मेरी प्रतिष्ठा खराब हो रही थी। पार्टी के नेता की भी छवि को नुकसान पहुंच रही थी। लिहाजा मैने इस्तीफा देना बेहतर समझा।
विभाग बदल दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे इससे कोई नाराज़गी नहीं थी। सरकार ने मुझ पर भरोसा जताते हुए मुझे इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी दी थी और इसको मैं ईमानदारी से निभाना चाहता था लेकिन भाजपा के नेता मेरी छवि खराब करने की हर संभव कोशिश कर रहे थे। यही वजह है कि मैंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और आज अपहरण केस की कोर्ट में सुनवाई भी होने वाली है। फैसला आ जाने के बाद सरकार में मुझे जो भी ज़िम्मेदारी मिलेगी, उसे निभाने के लिए मैं तैयार रहूंगा।
पूर्व मंत्री कार्तिकेय कुमार सिंह ने कहा कि 28 वर्ष तक शिक्षक रहे। बाद में वर्ष 2015 में एक अपहरण के मामले में उनका नाम घटना के नौ महीने बाद जोड़ा गया। घटना के दिन घटनास्थल से 5 किलोमीटर दूर स्थित एक गाड़ी में कार्तिक सिंह उर्फ मास्टर के होने की बात कही गई जो फर्जी तरीके से फंसाने का मामला था। उन्होंने कहा कि इस मामले में वे कोर्ट से जमानत पर थे लेकिन कोरोना काल में कुछ व्यवधान की वजह से कोर्ट की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी।
अनंत सिंह से उनकी नजदीकियां के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सच है। इतना ही नहीं अनंत सिंह के भाई भी मोकामा के विधायक रहे और वे उनसे भी परिचित रहे। क्योंकि, उनका पैतृक गांव मोकामा में है लेकिन इससे उनके किसी अपराध में संलिप्त होने का सवाल नहीं उठता।