नई दिल्ली।
चीन के साथ जारी तनाव के बीच भारत ने जमीन, आसमान और समुद्री सीमाओं के बाद अब अंतरिक्ष में भी खुद को मजबूत करना शुरू कर दिया है। भारत ने चीन से मुकाबला करने के लिए अंतरिक्ष से संचालित होने वाली चौथी सेना के लिए एक मजबूत कमांड बनाने पर जमीनी कार्य शुरू कर दिया है। बेंगलुरु में बनने वाली अंतरिक्ष युद्ध एजेंसी की निगरानी में इस चौथी सेना की कमान अंतरिक्ष में होगी। वर्तमान में दुनिया के 4 देश अमेरिका, रूस और चीन के अलावा भारत ने हीं अंतरिक्ष में अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाया है। भारत ने पिछले साल ही मिशन शक्ति की सफलता के साथ प्रदर्शन कर अपनी सैन्य और तकनीकी दक्षता प्रदर्शित की थी।
दुनिया भर में आतंकवादी अंतरिक्ष में तैनात संचार प्रणालियों और निगरानी प्रणालियों पर बहुत अधिक निर्भर हैं। इसे देखते हुए ही भारतीय सैन्य बलों के लिए अंतरिक्ष जनित सेंसर रणनीतिक पर कार्य करना जरूरी हो गया था। अमेरिका ,रूस और चीन जैसे देशों में सैन्य संचार इलेक्ट्राॅनिक खुफिया और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल के साथ-साथ रडार उपग्रहों सहित अंतरिक्ष जनित सेंसर बड़े पैमाने पर हैं।
पूर्व में भारतीय सेना ने अंतरिक्ष में अपनी तैयारियों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। मगर हाल के कुछ वर्षों में सरकार द्वारा अंतरिक्ष बजट बढ़ाने के साथ ही भारत ने अंतरिक्ष आधारित क्षमताओं को विकसित करने पर कार्य शुरू कर दिया था। भारत ने स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली विकसित की है, जिसका लाभ भारतीय रक्षा बलों को मिल रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन डीआरडीओ समय-समय पर नई पीढ़ी के अंतरिक्ष जनित डिटेक्टरों का विकास और प्रक्षेपण् कर रहा है। इसरो ने भारतीय सेना के लिए कई उच्च तकनीकी सैन्य संचार इलेक्ट्रो ऑप्टिक और उपग्रहों को लॉन्च किया है। भारतीय सेना अपने हवाई समुद्री और भूमि आधारित अभियानों में 1 दर्जन से अधिक अंतरिक्ष जनित गियरो का उपयोग करने में सक्षम हुई है।