रांची। राजधानी रांची के अनगड़ा माइंस लीज मामले में केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने राज्यपाल रमेश बैस को अपना फैसला भेज दिया है। हालांकि, फैसला में क्या लिखा है, यह अभी तक सार्वजनिक हुआ है लेकिन राजभवन से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक सरगर्मी बढ़ गई है।राज्यपाल रमेश बैस चार दिनों के दिल्ली दौरे के बाद गुरुवार दोपहर 2 बजे रांची लौटे है। राजनीतिक गहमागहमी के बीच राज्यपाल ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा भेजे गए किसी भी रिपोर्ट की जानकारी अब तक नहीं है।
इसको लेकर भी झारखंड की सियासत का पारा बढ़ गया है। मंत्री मिथिलेश ठाकुर, संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम के साथ महाधिवक्ता राजीव रंजन मुख्यमंत्री आवास पहुंच गए हैं। झामुमो कोटे के मंत्री हफिजुल अंसारी पहुंचे मुख्यमंत्री आवास पहुंचे हैं। मंत्री मिथिलेश ठाकुर, संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम के साथ महाधिवक्ता राजीव रंजन, झामुमो मंत्री हफिजुल अंसारी मुख्यमंत्री आवास पहुंच गए हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अपने खिलाफ किसी तरह का कोई फैसला आने पर महाधिवक्ता के साथ राय मशविरा करेंगे। इस मामले को लेकर राज्यपाल का फैसला कभी भी आने के मद्देनजर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने सभी विधायकों को बैठक के लिए मुख्यमंत्री आवास तलब किया है।
सीएम सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने सीएम पद रहते हुए अपनी साझेदारी वाली कंपनी को खनन पट्टा दिलाया और उसका नवीनीकरण कराया। मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए ऐसा करना जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9(A) के तहत गंभीर मामला है। यह पद के दुरूपयोग से जुड़ा मामला है। इस मामले में भाजपा के आरोप के बाद राज्यपाल ने मामले में चुनाव आयोग से राय मांगी थी। चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन का पक्ष जानने के बाद अपनी राय राज्यपाल को भेज दी है। सुत्रों से मिली जानकारी अनुसार चुनाव आयोग की रिपोर्ट में सोरेन की विधान सभा सदस्यता रद्द करने की बात कही गई है।
ऐसे में झारखंड में बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा होने के आसार दिखने लगे हैं । हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के बाद वे अपनी जगह पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनवा सकते हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि ऐसा करने के लिए उन्होंने पहले ही झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों से बात कर ली है। गत शनिवार 20 अगस्त को सोरेन ने अपने विधायकों के साथ एक बैठक की थी और आने वाले संकट पर चर्चा की थी।
मुख्यमंत्री आवास की तरफ से कहा गया है, संवैधानिक प्राधिकरणों और सार्वजनिक एजेंसियों का भाजपा नेताओं द्वारा दुरुपयोग भारतीय लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि कई मीडिया रिपोर्टों में यह खबर प्रकाशित की जा रही है कि चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री को विधायक के रूप में उनकी अयोग्यता की सिफारिश को लेकर फैसला सुनाया है। इस संबंध में चुनाव आयोग या राज्यपाल से सीएमओ को कोई पत्र नहीं मिला है।
यूपीए के पास संख्या बल काफी अधिक : आलमगीर आलम
उन्होंने कहा कि यूपीए के पास संख्या बल काफी अधिक है। ऐसे में सरकार को कोई खतरा नहीं है। जहां तक निर्वाचन आयोग द्वारा राजभवन को भेजे सीलबंद लिफाफा में रिपोर्ट की बात है, तो यह भी कोई कैसे कह सकता है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर क्या फैसला लिया गया है। यह सब तो मीडिया के माध्यम से ही उन्हें जानकारी आ रही है। निशिकांत दुबे और सरयू राय का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि सीलबंद लिफाफे के अंदर लिखी बात को जो भी लोग सोशल मीडिया में लिख रहे हैं। साफ है ऐसे लोगों का उनका सीधा कनेक्शन निर्वाचन आयोग के साथ है।