रांची। झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवे दिन गुरूवार को भी भाजपा विधायको ने सदन के बाहर और अंदर प्रदर्शन और घरना कर बवाल किया। सदन के बाहर किए गए घरना के दौरान सरकार पर गौ तस्करो सहित बालू, कोयला और पत्थर के तस्करो को संरक्षा देने का आरोप लगाया। वहीं सदन के भीतर भी बवाल किया। विपक्ष के हंगामे के कारण निर्धारित अवधि से एक दिन पहले विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। भाजपा विधायकों ने कहा कि पुलिस प्रशासन के संरक्षण में राज्य में बालू, कोयला और पत्थर की अवैध तस्करी हो रही है। भाजपा विधायकों ने दारोगा संध्या तोपनो की हत्या की सीबीआई जांच की मांग की।
भाजपा विधायक बिरंची नारायण सिंह ने कहा कि गोहत्या पर रोक कैसे लगे, गौ तस्करों पर कार्रवाई और दोषियों को सजा का सवाल राज्य के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है। स्पीकर ने उन्हें सवाल पूछने के लिए पुकारा था। तब वह अपने साथी विधायकों के साथ वेल में हंगामा कर रहे थे। बिरंची नारायण ने कहा कि गौ तस्करों द्वारा संध्या टोपनो की हत्या की जांच सीबीआई से होनी चाहिए। इसी मांग को लेकर वेल में भाजपा के विधायक हंगामा कर रहे थे।
झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवें दिन गुरुवार को विपक्ष के हंगामे के कारण निर्धारित समय से एक दिन पहले ही विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चिकाल के लिए स्थगित कर दी गयी। विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि लोकतंत्र की मर्यादा को बनाये रखने के लिए और जो बार-बार ऐसे सदन की कार्यवाही में व्यवधान पैदा किया जा रहा था। ऐसे में सदन की गरिमा को बचाये रखने के लिए अनिश्चितकाल के लिए सदन को स्थगित कर रहा हूं। उल्लेखनीय है कि झारखंड विधानसभा का सत्र 29 जुलाई से शुरू होकर पांच अगस्त तक आहूत था। इसमें छह दिन का कार्य दिवस था लेकिन एक दिन पहले ही स्पीकर ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।
झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवें दिन गुरुवार को सभा की कार्यवाही शुरू होते ही स्पीकर ने भाजपा के चारों विधायकों का निलंबन वापस ले लिया।
संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम में चारों भाजपा विधायकों के निलंबन को वापस लेने की मांग की थी। स्पीकर ने कहा कि भानु प्रताप शाही, ढुल्लू महतो, जेपी पटेल और रणधीर सिंह का निलंबन वापस लिया जाता है। उन्होंने कहा कि सहमति और असहमति संसदीय परंपरा का अलंकार है। चारों विधायकों को निलंबित किया जाना पीड़ादायक है लेकिन संवैधानिक परंपरा की रक्षा के लिए ऐसे कठोर कदम उठाना पड़ा।