गया। बिहार -झारखंड के जोनल कमांडर व माओवादी के शीर्ष नेता संदीप यादव का शव संदिग्ध हालत में बरामद किया गया है। मृतक के हाथ पैर बंधे पाए गए है। जिससे उसकी हत्या की आशंका जतायी जा रही है। नक्सलियों के खेमों में संदीप यादव बड़े साहब के नाम से जाना जाता था। देश के 5 राज्यों की पुलिस को नक्सली नेता संदीप यादव की तलाश थी। 84 लाख का ईनामी नक्सली संदीप यादव का खौफ 90 के दशक में परवान पर था। संदीप यादव की संदिग्ध मौत ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। पुलिस की फाइल में नक्सलियों के शीर्ष नेता संदीप यादव 27 सालों से फरार था। ।संदीप यादव की मौत से जहां बिहार सहित कई राज्यों की पुलिस , सुकून महसूस कर रही है ।
संदीप कुमार उर्फ विजय यादव (55 साल) बांकेबाजार प्रखंड के बाबूराम डीह गांव का रहने वाल था। उसकी पत्नी शिक्षिका है। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में करीब 500 नक्सली कांड दर्ज हैं। जानकारी के अनुसार विभिन्न राज्यों की पुलिस के द्वारा रखे गए इनामों को जोड़ दिया तो संदीप उर्फ विजय 84 लाख का इनामी माओवादी था। करीब 3 दशकों से बिहार झारखंड समेत विभिन्न राज्यों में विध्वंसक कांडों को अंजाम दिया था। बिहार में इसके खिलाफ 100 से अधिक मामले दर्ज हैं।
संदीप की मौत को लेकर आशंका जतायी जा रही है संगठन के साथियों ने जहर देकर विश्वासघात किया है। नक्सली के शव को सीआरपीएफ के जवानों ने अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल लाया है। पुलिसकर्मियों ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद ही पता चल पाएगा कि संदीप यादव उर्फ संदीप जी उर्फ बड़े साहब की संदिग्ध मौत किन कारणों से हुआ है। नक्सली के दो पुत्र सहित अन्य परिजन भी मौके पर मौजूद है। सीआरपीएफ सुत्रों से मिली जानकारी अनुसार गत दिनों पूर्व हुए ब्लास्ट में संदीप घायल हो गया था।
जानकारी अनुसार संदीप का शव जंगल में पड़ा देख पत्ता चुनने गए ग्रामीणों की उसपर नजर पड़ी। जिसके बाद उसकी पहचान करते हुए उसे लाकर परिजनों को सौंप दिया। जिसके बाद देर रात सीआरपीएफ ने शव को अपने कब्जे में ले लिया था। संदीप पुलिस बल व सीआरपीएफ पर हमला करने का आदी था। उसके हमले में कई पुलिसकर्मी शहीद हो चुके है। संदीप बिहार के गया जिले से सटे झारखंड के पलामू के मनातू व नवडीहा बाजार में काफी सक्रिया था। वर्ष 2018 में पहली बार देश में ईडी ने किसी नक्सली के खिलाफ कार्रवाई की थी। जिसके उसके कई संपति को जब्त किया गया था।