रांची। 10 लाख के इनामी नक्सली जोनल कमांडर सुरेश सिंह मुंडा और उसके सहयोगी दो लाख के इनामी लोदरों लोहार ने मंगलवार को झारखंड पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। जोनल कमांडर सुरेश पर भाजपा के पूर्व विधायक गुरुचरण नायक पर हमला और अंगरक्षक की हत्या में भी शामिल होने का आरोप है। आत्मसमर्पण के मौके पर मुख्य रूप से झारखंड पुलिस के प्रवक्ता सह आईजी अभियान एवी होमकर, एसटीएफ डीआईजी अनूप बिरथरे, आईजी पंकज कंबोज और सीआरपीएफ के अधिकारी मौजूद थे।
जानकारी अनुसार नक्सली सुरेश मुंडा एक करोड़ के इनामी अनल दा दस्ते का प्रमुख सदस्य रहा है। कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन के लिए भी राशि और खूंटी इलाके में काम किया है। जिले के बुंडू थाना क्षेत्र का रहने वाला सुरेश मुंडा पर 67 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। जबकि गिरफ्तार सहयोगी लोदरों लोहरा पर 64 मामले हैं।
आईजी अभियान ने बताया कि अभियान के कारण नक्सली बैकफुट पर है। इसका फायदा पुलिस को मिल रहा है। साथ ही सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के कारण भी नक्सली हथियार छोड़ मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। इस आत्मसमर्पण से नक्सलियों को दो टूक संदेश भी दिया गया है कि वे मुख्यधारा में शामिल हों या फिर पुलिस कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2021 में पोड़ाहाट में भाकपा माओवादियों के सक्रिय जोनल कमांडर जीवन कांडूलूना के सरेंडर करने के बाद सुरेश मुंडा और लोदरो को पोड़ाहाट भेजा गया था। पुलिस की बढ़ती दबिश और संगठन के आंतरिक शोषण से तंग आकर सुरेश और लोदरो ने झारखंड पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया। सुरेश मुंडा पिछले 25 वर्षों से भाकपा माओवादी संगठन में सक्रिय था।
सुरेश ने बेटी की बातों से प्रभावित होकर यह निर्णय किया।
सुरेश सिंह मुंडा रांची के बुंडू थाना अंतर्गत बाराहातू का रहने वाला है। सुरेश सिंह मुंडा के गांव में कुंदन पाहन के दस्ते का आना-जाना था। वर्ष 1998 में कुंदन पाहन दस्ता उसे साथ ले गया। चांडिल-बुंडू जोन में स्थित जनमिलिशिया गांव का काम दिया। सुरेश सिंह मुंडा का काम था पुलिस की गतिविधि की सूचना पार्टी तक पहुंचाना। सुरेश सिंह मुंडा 25 वर्ष तक संगठन में शामिल रहा। हाल के दिनों में सुरेश सिंह मुंडा की 14 साल की नाबालिग बेटी ने चिट्ठी भेजी थी। बेटी की चिट्ठी से प्रभावित होकर सुरेश सिंह मुंडा ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्य धारा से जुड़ने का प्लान बनाया था।
नाबालिग बेटी की चिट्ठी ने मुख्य धारा में लौटने को प्रेरित किया। दिसम्बर 2021 में सुरेश सिंह मुंडा ने सहयोगी लोदरो लोहरा के साथ संगठन छोड़ दिया। इसके बाद पुलिस से संपर्क बनाया। सरेंडर के वक्त सुरेश सिंह मुंडा की नाबालिग बेटी भी मौजूद थी। सुरेश सिंह मुंडा की बेटी नौंवी कक्षा की छात्रा है। पहली बार अपने पिता से मिलने स्कूटी से रांची पहुंची थी। वर्ष 2007 में बीमारी की वजह से सुरेश सिंह मुंडा की पत्नी की मौत हो गयी है।