रांची । बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। सीबीआई के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ईडी ने सीबीआई के चारा घोटाले से संबंधित दो मामलों को टेक ओवर करते हुए मनी लांड्रिंग एक्ट में केस दर्ज कर लिया है। इनमें देवघर कोषागार से 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी तथा दुमका कोषागार से 34.91 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का मामला शामिल हैं। दोनों ही मामलों में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने 19 मार्च, 2018 और नौ अप्रैल 2018 को इस केस के सभी अभियुक्तों के खिलाफ सजा सुनाई थी।
लालू प्रसाद यादव देवघर कोषागार से 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में 19 अभियुक्तों में शामिल हैं, जिन्हें सजा हुई थी। इस केस में सभी अभियुक्तों को 7-7 साल के सश्रम कारावास की सजा हुई थी। लालू प्रसाद यादव को 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा था। दुमका कोषागार से 34.91 करोड़ों रुपये की अवैध निकासी के मामले में कुल 37 अभियुक्त दोषी पाए गए थे। हालांकि, 17 अभियुक्तों की ट्रायल के दौरान मौत हो गई थी।
950 करोड़ रुपये का है चारा घोटाला
संयुक्त बिहार में चारा घोटाला देश का सबसे बड़ा घोटाला था। यह कुल 950 करोड़ रुपये का घोटाला बताया गया था। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में दर्ज पांच मामलों में दोषी पाए जा चुके हैं। छठे केस का ट्रायल अभी चल रहा है। कुछ दिन पहले ही डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी मामले में भी लालू प्रसाद दोषी करार दिए जा चुके हैं। इनमें लालू प्रसाद यादव, अजीत कुमार वर्मा, अरुण कुमार सिंह, विमल कांत दास, गोपीनाथ दास, कृष्णा कुमार प्रसाद, मनोरंजन प्रसाद, महिंदर सिंह बेदी, नंदकिशोर प्रसाद, नरेश प्रसाद, ओम प्रकाश दिवाकर, पंकज मोहन भुज, फूलचंद सिंह, पितांबर झा, राधा मोहन मंडल, राजकुमार शर्मा उर्फ राजा राम जोशी, रघुनंदन प्रसाद, राजेंद्र कुमार बगरिया, और शरदेंदु कुमार दास शामिल हैं।
चारा घोटाले 13 मृत अभियुक्तों की संपत्ति भी जांच के दायरे में
बीबी प्रसाद (बजट अधिकारी), भोलाराम तूफानी (मंत्री), चंद्रदेव प्रसाद वर्मा (मंत्री), छठू प्रसाद (कोषागार पदाधिकारी), कालिका प्रसाद सिन्हा (एकाउंटेंट), के अरुमुगम (सचिव), महेंद्र प्रसाद (सप्लायर), राघवेंद्र कुमार दास (प्रशासनिक अधिकारी), राजेंद्र सिंह (पशुपालन पदाधिकारी), रामराज राम (निदेशक), एसएन सिंह (पशुपालन पदाधिकारी), श्याम बिहारी सिन्हा (संयुक्त निदेशक) और वसीमउद्दीन (पशुपालन पदाधिकारी)। सीबीआई की रांची स्थित विशेष अदालत ने ईडी को आदेश दिया था कि इन अभियुक्तों ने जनवरी 1990 के बाद जो भी चल अचल संपत्ति बनाई है उसे जब्त कर लें।