पटना। मुख्यमंत्री नीतीश के गृह जिले नालंदा में जहरीली शराब के सेवन से हुई ग्यारह मौत के बाद एक बार फिर से शराब बंदी कानून और उसके लागू होने के हालात पर समीक्षा की आवाज उठने लगी है। जदयू को छोड़कर सभी राजनीतिक दल शराबबंदी कानून की समीक्षा चाहती है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने शराब कानून पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिन लोगों की जहरीली शराब से मौत हुई है, क्या अब उनके परिवार को भी जेल भेजा जाएगा। उन्होंने पूछा है कि शराबबंदी से आखिर किस को फायदा हो रहा है। संजय जायसवाल का कहना है कि सिर्फ शराब माफिया गुलजार हो रहे हैं। पटना हाई कोर्ट के 15 जज सिर्फ शराबबंदी का केस देखते हैं, तो अन्य मामलों में लोगों को न्याय कैसे मिलेगा। उन्होंने इस मामले में सर्वदलीय बैठक बुलाकर शराब बंदी कानून पर चर्चा की मांग की है।
राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री के गृह जिला में जब शराब मिलती है, तो इसके लिए वे ही जिम्मेवार है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस्तीफा की मांग की है। जबकि सरकार की साझेदार हम पार्टी के सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस पर विचार करते हुए शराबबंदी कानून वापस लेनी चाहिए। जाप अध्यक्ष पप्पू यादव ने कहा कि बिहार में जनहित के मामले भुला दिए गए हैं। सिर्फ शराब ही बिहार में चर्चा बनी रहती है।
मालूम हो कि वर्ष 2021 में जहरीली शराब की घटना के 13 मामले सामने आए थे। जिसमें 66 की मौत हुई थी। इधर नालंदा में 11 मौतें हो चुकी है। जबकि शराबबंदी कानून लागू होने के कुछ महीने बाद ही गोपालगंज के खजूरबानी में वर्ष 2016 में 19 लोगों की मौत हुई थी और 12 की आंखों की रोशनी चली गई थी।