पटना। देश से विदेशो तक मनाया जाने वाला आस्था और लोक परंपरा का महापर्व छठ सोमवार से शुरू होगा। चार दिवसीय महापर्व का समापन गुरूवार को उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देने के बाद होगा। देश के प्रमुख सूर्य मंदिर में से एक पटना के दुल्हिन बाजार स्थित उलार सूर्य मंदिर सहित राज्य भर में छठ महापर्व की तैयारी बड़े ही श्रद्धाभाव से शुरू हो गई है। वहां काफी संख्या में व्रती पहुंचने लगे है।
पौराणिक कथाओ के अनुसार महापर्व का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब से भी जुडा़ है। ऋषि मुनियो के श्राप के कारण कृष्ण पुत्र शाम्ब कुष्ठ रोग से पीड़ित हो गए थे। तब अत्यंत चिंतित थे। इस पर मंत्रियो की सलाह पर शाकद्वीप(वर्तमान ईरान) से रोग ठीक करने के लिए देवतुल्य 18 ब्राह्मण परिवारो को सम्मानपूर्वक मगध की धरती पर बुलाया गया। ब्राह्मण परिवारो ने उन्हें उलार के तालाब में स्नान कर सवा महीने तक सूर्य की उपासना की सलाह दी। इस उपासना से शाम्ब कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए थे। तब शाम्ब को 12 स्थानो पर सूर्य मंदिर की स्थापना कर सूर्योपासना करने को कहा। इसको लेकर शाम्ब ने उलार्क, लोकार्क, औगार्क, देवार्क, कोणार्क समेत 12 स्थानो पर सूर्य मंदिर बनवाए। इसी में पटना जिले का उदार सूर्य मंदिर है। इसके बाद से ही पूरे मगध में सूर्योपासना का महापर्व छठ मनाया जाने लगा।
देश के 12 आर्क स्थलो में कोणार्क और देवार्क (बिहार का देव) के बाद उलार(उलार्क) भगवान सूर्य के तीसरे पुत्र आर्क स्थल के रूप में जाना जाता है। स्थानीय लोगो की मान्यता है कि सच्चे मन से यहां उपासना करने वाले को संतान की प्राप्ति होती है। पुत्र प्राप्ति के बाद आंचल में पुत्र के साथ माताएं नटुआ व जाट जाटिन नृत्य करवाते है। प्रत्येक रविवार को यहां बड़ी संख्या में लोग जुटते है।