रांची। मलेशिया में फंसे झारखंड के गिरिडीह, हजारीबाग और बोकारो के 22 कामगारों की गुरुवार को वतन वापसी हो गई। जबकि बचे आठ कामगारों की वापसी के लिए राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष एवं मलेशिया स्थित हाई कमीशन ऑफ़ इंडिया कंपनी प्रबंधन से लगातार संपर्क में हैं। उल्लेखनीय है कि दो चरण में 22 कामगारों की वापसी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश के बाद संभव हुई है। एक माह पूर्व 10 कामगार झारखंड लौटे थे। 14 मार्च को राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को मलेशिया के भारतीय दूतावास ने बताया कि 18 मार्च को 30 में से 10 कामगारों का कंपनी द्वारा वतन वापसी का टिकट कराया गया था लेकिन कोविड जांच में सभी 10 कामगार पॉजिटिव पाए गए थे, जिसके कारण उनका भारत आना स्थगित किया गया था।
25 मार्च को सभी कामगारों को बेंटन व लूनस से कुआलालंपुर भारतीय हाई कमीशन, मलेशिया के शेल्टर होम में सुरक्षित लाया गया है। इसके बाद 25 एवं 26 मई को 10 कामगार झारखंड लौटे। पिछले दिनों इन श्रमिकों ने राज्य सरकार से अपनी सुरक्षित वापसी के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से गुहार लगाई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को सभी कामगारों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने का आदेश दिया था। कामगारों की वापसी हेतु राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष लगातार प्रयासरत रहा है।
राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने इस घटना पर संज्ञान लेते हुए कार्य करना शुरू किया। इस कड़ी में पता चला कि सभी कामगार 30 जनवरी 2019 से लीड इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन एसडीएन बीएचडी में लाइनमैन के रूप में कार्यरत हैं। 30 सितम्बर 2021 को सभी का कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म हो चुका है और अक्टूबर 2021 से जनवरी 2022 तक उन्होंने कंपनी के कहने पर बिना कॉन्ट्रैक्ट के 4 माह काम किया, जिसका पेमेंट उन्हें नहीं मिला है।
राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने कार्रवाई करते हुए कामगारों से केस से संबंधित दस्तावेज साझा करने को कहा। श्रम विभाग द्वारा मेल के माध्यम से हाई कमीशन ऑफ़ इंडिया, मलेशिया को घटना पर संज्ञान लेने को कहा गया। मलेशिया पुलिस ने घटनास्थल (लूनस, मलेशिया) पर जाकर घटना का सत्यापन किया एवं कंपनी से बात कर कामगारों की समस्या को सुलझाने को कहा। इसके उपरांत कंपनी के मालिक ने कामगारों के बकाया वेतन भुगतान एवं टिकट की व्यवस्था के लिए कुछ समय की मांग की।
हाई कमीशन ऑफ़ इंडिया, मलेशिया ने कम्पनी को आदेश दिया कि जल्द सभी के बकाया वेतन का भुगतान करें और सभी को कुआलालंपुर स्थानांतरित करते हुए 15 दिन के अंदर सभी का टिकट एवं उनके भोजन की व्यवस्था करें। कंपनी ने सभी के खाते में वेतन का भी भुगतान कर दिया है। भारतीय दूतावास, मलेशिया द्वारा लगातार कंपनी को सभी मजदूरों के बकाया वेतन के लिए दबाव बनाया गया था।