Koderma: अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दितीय अजय कुमार सिंह की अदालत ने मंगलवार को नाबालिग का अपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन कर निकाह करने व दुष्कर्म किए जाने के एक मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी रिंकू अंसारी ( 30) सौदागर मोहल्ला पोस्ट भौरा जोरापोखर धनबाद निवासी को भादवि की धारा 376 के तहत दोषी पाते हुए 14 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई साथ ही ₹25000 जुर्माना भी लगाया। जुर्माना की राशि नहीं देने पर 1 वर्ष अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा भुगतनी होगी। साथ ही अदालत ने 366 (ए) आईपीसी एक्ट के तहत दोषी पाते हुए 5 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई साथ ही 20000 जुर्माना भी लगाया। जुर्माना की राशि नहीं दिए जाने पर छह माह अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी। मामले में नाबालिक को एक मारुति कार के द्वारा जबरन अपहरण कर ले जाने के आरोपी कार चालक को पूर्व में ही सजा सुना दी गई है। जबकि मुख्य आरोपी रिंकू अंसारी फरार चल रहा था। पुलिस की दबिश एवं कुर्की जब्ती का नोटिस चिपकाया जाने के बाद आरोपी नाबालिग के साथ सरेंडर किया था।
गौरतलब हो कि वर्ष 2013 में सतगांवा थाना क्षेत्र की रहनेवाली नाबालिग के पिता ने सतगावा थाना में आवेदन देकर कहा था कि पड़ोस के एक दुकान में काम करने वाला रिंकू अंसारी के द्वारा उसकी बच्ची को जबरन अपहरण कर शादी की नियत से भगा कर ले जाया गया है। कोर्ट में दिए बयान में नाबालिग ने बताया था कि उसके पिता घर नहीं पहुंचे थे उसी वक्त वह घर से बाहर पिता को देखने के लिए निकली थी । इसी दौरान रिंकू अंसारी ने जबरन कार में बिठा लिया और वहां से धनबाद ( कतरास ) लेकर चला गया उसके बाद वहां से झालदा फिर दिल्ली लेकर चला गया। रिंकू अंसारी द्वारा गलत एफिडेविट के माध्यम से उसे बालिग दिखाते हुए डुप्लीकेट आधार कार्ड बनाया गया और उसका नाम बदल मुस्लिम नाम रखा गया और उसके बाद उससे जबरन निकाह किया। लगभग 10 माह तक दिल्ली में उसे रखा गया और प्रतिदिन उसके साथ दुष्कर्म किया करता था । जब वह बाहर जाता था तो रूम में बाहर से ताला बंद कर देता था उसके द्वारा धमकी दिया जाता था कि अगर किसी को कुछ बताओगी तो तुम्हारे माता-पिता को जान से मार देंगे।
मामले में लोक अभियोजक पीपी मंडल की ओर से गवाहों का परीक्षण कराया गया। साथ ही सुनवाई के दौरान न्यायालय से अभियुक्त को अधिक से अधिक सजा देने की मांग की गई वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता कुमार रोशन ने अभियुक्त का बचाव करते हुए दलीलें पेश की। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने एवं अभिलेख पर उपस्थित साक्ष्यों का अवलोकन करने के उपरांत दोषी पाते हुए सजा मुकर्रर की और जुर्माना लग